एक लम्बी यात्रा
के बाद लम्बी कतार
से आगे निकलने
का करके व्यापार
अँधेरे मंदिर के दो स्तंभों
के बीच चिंके से स्थान
से किया भक्त ने
श्रष्टि के रचयिता का
छणिक साक्षात्कार
और मंदिर के पार्श्व में
पर्वत के शिखर
बलखाती चलती नदियां
कलरव करते निर्झर
पंछियों की चरचराहट
मंद बयार से हिलते
पत्तों की सरसराहट
उषा का बादलों के रथ में प्रयाण
निशा में चन्द्रमा की मुस्कान
विश्व के उन्मुक्त प्रांगन में
दर्शन के लिए निशुल्क
महारचयिता की महाकला
औद्योगिक दूषण से बिगड़ती रही
और ऊँचे भवनों की छाया में
अपमानित, अवहेलित सुकडती रही
के बाद लम्बी कतार
से आगे निकलने
का करके व्यापार
अँधेरे मंदिर के दो स्तंभों
के बीच चिंके से स्थान
से किया भक्त ने
श्रष्टि के रचयिता का
छणिक साक्षात्कार
और मंदिर के पार्श्व में
पर्वत के शिखर
बलखाती चलती नदियां
कलरव करते निर्झर
पंछियों की चरचराहट
मंद बयार से हिलते
पत्तों की सरसराहट
उषा का बादलों के रथ में प्रयाण
निशा में चन्द्रमा की मुस्कान
विश्व के उन्मुक्त प्रांगन में
दर्शन के लिए निशुल्क
महारचयिता की महाकला
औद्योगिक दूषण से बिगड़ती रही
और ऊँचे भवनों की छाया में
अपमानित, अवहेलित सुकडती रही
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